www ka full form क्या है?

« Back to Glossary Index

इस तेज गति वाले डिजिटल युग में, “www” शब्द हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। हम इसकी उत्पत्ति या महत्व पर ज्यादा विचार किए बिना हर दिन इसका इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वास्तव में www क्या है? और www ka full form क्या होता है? चलिए मेरे साथ एक मनोरम यात्रा पर चलते है।

जहा हम उस गूढ़ संक्षिप्त नाम के पीछे की रहस्य को उजागर करते हैं जिसने दुनिया को लोगो से जोड़ने और अन्वेषण करने के तरीके में क्रांति ला दी है।

www क्या है?

“WWW” जिसे वर्ल्ड वाइड वेब, के रूप में भी जाना जाता है, वेब सर्वरों में संग्रहीत वेबसाइटों या वेब पेजों का एक संग्रह है जो इंटरनेट के माध्यम से स्थानीय कंप्यूटरों से जुड़े होते है।

इन वेबसाइटों में टेक्स्ट, डिजिटल चित्र, ऑडियो, वीडियो आदि जैसी डिजिटल फाईले जानकारी के रुप मे संग्रहीत होते हैं।

उपयोगकर्ता इन साइटों पर मौजुद जानकारीओ को दुनिया के किसी भी हिस्से से इंटरनेट से जुड़े उपकरणों जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि के उपयोग से एक्सेस कर सकते हैं।

किसी भी ब्लॉग या बेवसाइट पर मौजुद वेब पेजे HTML नामक मशीनि भाषाओ से बने होते हैं और “हाइपरटेक्स्ट” या हाइपरलिंक नामक लिंक से जुड़े होते हैं ताकि उपयोगकर्ता किसी संबंधित जानकारी को जल्दी और आसानी से एक्सेस कर सकें।

दरसल, हाइपरटेक्स्ट वे शब्द या वाक्यांश है जो उस शब्द या वाक्यांश से संबंधित अतिरिक्त जानकारी प्रदान करने वाले अन्य पृष्ठों तक पहुँचने का लाभ प्रदान करता है।

www ka full form

इन्टरनेट पर जानकारी सुरक्षित बनी रहे इसके लिए HTTP नामक एक प्रोटोकॉल द्वारा उन्है एक्सेस किया जाता हैं। हर वेब पेज की अपनी एक इउनिक आई डि या पता होता है जिसे यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर संक्षेप में URL कहा जाता है।

इस प्रकार के वेब पेजों का एक विशाल संग्रह एक वेबसाइट कहलाता है, जैसे, www.facebook.com, www.google.com, आदि।

संक्षेप में कह जाए तो, वर्ल्ड वाइड वेब एक ऐसी अनलाइन डिजिटल पुस्तक है, जिसे एक बेव सर्वर पर स्टोर किया जाता है और दुनिया भर में कही से भी उन्है एक्सेस किया जा सकता है।

www ka full form क्या है?

दरसल, यह एक संक्षिप्त शब्द है। WWW का फुल फॉर्म होता है वर्ल्ड वाइड वेब है और जो वेब के नाम से भी जाने जाते है।यह दुनिया भर में इंटरनेट से जुड़ी सभी वेबसाइटों का एक कैटलॉग है।

यह एक ऑनलाइन प्रक्रिया है जहाँ अरबों कि संख्या में स्टोरेज डेटा इंटरनेट के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।

यह सूचना का वे प्रणाली है जो डिजिटल दस्तावेजों और अन्य वेब संसाधनों को लोगो के लिए हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (http) के द्बारा इंटरनेट पर एक्सेस करने में सक्षम बनाता है।

वर्ल्ड वाइड वेब कैसे काम करता है?

उम्मीद है कि अब, आपको एक अवधारणा मिल गई होगी कि वास्तव में WWW क्या है। चलिए अब जरा देख लेते हैं कि यह काम कैसे करता है!दरसल, यह एक क्लाइंट-सर्वर के जरिए काम करता है, जिसे निचे दिए गए छवि के द्बारा समझाने कि कौशिश किया गया है।

जब कोई उपयोगकर्ता आपनी वेब ब्राउज़र द्वारा किसी जानकारी के लिए अनुरोध भेजता है तो सर्वर जबाव के रुप मे आपनी संग्रहलय से उपयोगकर्ता के कंप्यूटरों पर वेब पेजों की एक सूचि प्रस्तुत करता है।

वेब सर्वर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के जरिए उपयोगकर्ताओं के द्वारा किए गए अनुरोध के अनुसार बेव पेजों को उनके सामने प्रस्तुत करता है।

बेव ब्राउज़र के जरिए उपयोगकर्ता द्बारा किए गए अनुरोध को क्लाइंट के रूप में जाना जाता है।

ब्राउज़र, उपयोगकर्ता के कंप्यूटर पर स्थापित होते है, जो उपयोगकर्ताओं को दस्तावेज़ों के लिए सर्वर पर अनुरोध भजने और उनके पुन:प्राप्ति को सक्षम बनाता है।

वर्ल्ड वाइड वेब का इतिहास

वेब हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ों की एक प्रणाली है जिन्है इंटरनेट के माध्यम से एक्सेस किया जाता है , जिसने सूचना और संचार कि दुनिया में क्रांति ला दी है। आइए वर्ल्ड वाइड वेब के इतिहास के बारे में थोड़ा जान लेते है:

इसकी उत्पत्ति:

1960 के दशक में टेड नेल्सन द्वारा हाइपरटेक्स्ट की अवधारणा पेश की थी। हालाँकि, इसका का वास्तविक विकास 1980 के दशक के अंत मे और 1990 के दशक की शुरुआत में ब्रिटिश कंप्यूटर वैज्ञानिक सर टिम बर्नर्स-ली के काम से शुरू हुआ था।

वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार:

सन 1989 में, CERN में शोधकर्ता के तौर पर काम कर रहे टिम बर्नर्स-ली ने विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे वैज्ञानिकों के बीच जरुरी सूचनाए साझा करने कि एक प्रणाली का प्रस्ताव दिया था।

जिसमे उन्होंने हाइपरलिंक्स के माध्यम से जुड़े कंप्यूटरों के विकेंद्रीकृत नेटवर्क की कल्पना की, ताकि उपयोगकर्ता आसानी से जानकारी तक पहुंच प्राप्त कर सकें और उन्हे साझा कर सकें।

प्रमुख प्रौद्योगिक सिद्धांत:

बर्नर्स-ली ने इस कामको आगे बडाते हुये तीन मौलिक प्रौद्योगिकि का विकाश किया जो बाद मे वेब के मूल सिद्धांत बने:

  • HTML (हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज): एक मार्कअप लैंग्वेज जिसका इस्तेमाल वेब पेजों की संरचना और सामग्री बनाने के लिए किया जाता है।
  • HTTP (हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल): एक प्रोटोकॉल जो इंटरनेट पर हाइपरटेक्स्ट संसाधनों के हस्तांतरण की अनुमति देता है।
  • URL (यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर): वेब पर संसाधनों को संबोधित करने का एक प्रणाली।

वेब का सार्वजनिक होना:

6 अगस्त, 1991 को टिम बर्नर्स-ली ने इंटरनेट पर आपना पहला वेब पेज पोस्ट किया, जिससे यह सार्वजनिक हो गया। और वही से वर्ल्ड वाइड वेब का जन्म चिन्हित होया जिसका इस्तेमाल आज हम करते हैं।

वेब ब्राउज़र और ग्राफिकल यूजर इंटरफेस:

वेब को नेविगेट करने के लिए, उपयोगकर्ताओं को एक वेब ब्राउज़र की आवश्यकता थी। और सन 1993 में, मार्क एंड्रीसेन और एरिक बीना नामके दो वैज्ञानिक ने मोज़ेक ग्राफिकल वेब ब्राउज़र को विकसित किया जिसने उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस प्रदान करके वर्ल्ड वाइड वेब को लोकप्रिय बना दिया। मोज़ेक के बाद नेटस्केप नेविगेटर आया, जिसने ब्राउज़िंग अनुभव को और अधिक बेहतर बना दिया।

वेब का विस्तार और व्यावसायीकरण:

जैसे-जैसे वेब ने लोकप्रियता हासिल करनी शुरु की, कई वेबसाइटें और वेब सेवाएं भी साथ-साथ उभरती गई। 1994 में, World Wide Web Consortium (W3C) की स्थापना की गई जो वेब प्रोटोकॉल और इसकी इंटरऑपरेबिलिटी को सुनिश्चित करने के मानक बना।

WWW का आविष्कार किसने किया?

वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार एक ब्रिटिश वैज्ञानिक टिम बर्नर्स-ली के द्बारा सन 1989 में CERN में काम करने के दोरान कि गई थी। बर्नर्स-ली ने एचटीएमएल, सीएसएस और जावास्क्रिप्ट जैसी कई अवधारणाओं और प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग करके एक “universal linked information system” का प्रस्ताव दिया।

वेब को मूल रूप से दुनिया भर के लोगों के लिए संचार और जानकारी साझा करना आसान और अधिक सुलभ बनाने के लिए बनाया गया था। और फिर 6 अगस्त, 1991 को पहला वेब पेज प्रकाशित किया गया था। तब से, WWW तेजी से बढ़ने लगा और आधुनिक संचार और व्यवसाय का एक अभिन्न अंग बन गया।