CD ka full form क्या है?

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डिजिटल युग में, जहां streaming और ऑनलाइन मीडिया का बोलबाला है, ऐसे मे आपने समय-समय पर कॉम्पैक्ट डिस्क या सीडी शब्द का उल्लेख जरुर सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते है वास्तव में सीडी क्या है, याफिर CD ka full form क्या है? और यह संगीत की दुनिया में क्या भूमिका निभाता है?

तो इस article में, हम Compact Disc या CD की मूल बातो को बारे मे जानेंगे और साथही कैसे काम करता है इसका पता लगाएंगे। इसलिए, हमारे साथ बने रहे और इस लेख को अन्तहतक पढ़े।

सीडी क्या है?

सीडी एक तरह की ऑप्टिकल डिस्क हैं जो सॉफ़्टवेयर जैसे डिजिटल डेटाए ,खास तौर पर संगीत को संग्रहीत करने के लिए इसका उपीयोग किया जाता हैं। इसके सतह पर संग्रहीत डिजिटल डेटा या जानकारी को पढ़ने के लिए एक सूक्ष्म रोश्मि या लेजर light का उपयोग किया जाता हैं जिसके द्बारा उन डेटा को डिकोड किया जाता है और एक CD Player के द्बारा उसे चलाया जाता है।

एक सीडी में 700 मेगाबाइट तक डेटा सहेजने कि सक्षता होती है, जो उन्हें एक बड़े संगीत को संग्रहीत करने के लिए उपयुक्त बनाता है।

CD ka full form क्या है?

सीडी जिसे आमतौर पर Compact Disc, के रूप में जाना जाता है, एक पोर्टेबल डिजिटल स्टोरेज मिडिया है जिसका उपयोग डिजिटल जानकारी को संग्रहीत करने और उन्है फिर से चलाने के लिए उपियोग किया जाता है। इसे 1980 के दशक की शुरुआत में पेहली बार लोगो के लिए उपलध्ब कराया गया था।

कॉम्पैक्ट डिस्क की भौतिक संरचना:

यह पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक द्बारा बनी एक गोलाकार डिस्क है जिसका व्यास 12 सेंटीमीटर (या लगभग 4.7 इंच) का होता है। इसमे चमकिले धातु की एक हल्की परत होती है, जिसे “परावर्तक परत” कहा जाता है। डेटाऔ को लम्बी समय तक संग्रहीत रखने और हानि कारक चिजो से इसे वचाए रखने के लिए इस पर एक पारदर्शी प्लास्टिक कोटिंग कि परत लगाई जाती है।

CD ka full form
Image Credited to Pixabay

सीडी काम कैसे करती है?

एक सीडी, जोकि आकार में गोल होती है जो चमकदार धातु की परत के साथ पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक सामग्री से बनी होती है जिसे परावर्तक परत के रूप में जाना जाता है। जहां डिजिटल डेटा या जानकारी को पारदर्शी प्लास्टिक कोट की सुरक्षा के साथ संग्रहीत किया जाता है।

डिजिटल जानकारी को परावर्तक परत में संग्रहीत किया जाता है जो छोटे इंडेंटेशन की एक श्रृंखला के रूप में व्यवस्थित होती है जिसे pits कहा जाता है। ये ‘Pits’ एक लंबे सर्पिल ट्रैक में व्यवस्थित होते हैं। pits के बीच के स्थान को ‘Land’ कहा जाता है।

जब आप किसी संगत डिवाइस, जैसे सीडी प्लेयर या कंप्यूटर ड्राइव में सीडी डालते हैं, तो डिवाइस जानकारी पढ़ने के लिए लेजर बीम का उपयोग करता है।

यह तकनीक अत्यधिक तीव्र केंद्रित प्रकाश किरण उत्सर्जित करती है।अब, जब भी आप सीडी प्लेयर या ड्राइव में सीडी डालते हैं तो इससे डिजिटल जानकारी पढ़ने के लिए लेजर बीम का उपयोग होता है। यह लेजर डायोड प्रकाश की एक उच्च-फोकसेबल किरण उत्सर्जित करता है।

लेज़र किरण सीडी की परावर्तक परत पर चमकती है। अब, जब लेज़र प्रकाश ‘land’ पर पड़ता है, तो यह डिवाइस में लगे प्रकाश सेंसर पर वापस प्रतिबिंबित होता है। हालाँकि, जब लेज़र किसी ‘Pits’ से टकराता है, तो यह बिखर जाता है और सिग्नल के रूप में डिवाइस पर वापस कोई प्रतिबिंब नहीं बनाता है।

सीडी के उपयोग क्या हैं?

आमतौर पर, सीडी का उपयोग ज्यादातर डिजिटल डेटा संग्रहीत करने के लिए किया जाता है, लेकिन विशेष रूप से इसका उपयोग संगीत के लिए किया जाता है। एक मानक ऑडियो डिस्क लगभग अस्सी मिनट तक के संगीत को कई ट्रैकों में विभाजित करके संग्रहीत कर सकती है। इन ट्रैकों को सीडी प्लेयर, कार स्टीरियो और सीडी ड्राइव से सुसज्जित कंप्यूटर में आगे चलाया जा सकता है।

हालाँकि, इसका उपयोग आमतौर पर सॉफ़्टवेयर, दस्तावेज़, छवियों के साथ-साथ वीडियो फ़ाइलों जैसे डिजिटल डेटा को संग्रहीत करने के लिए भी किया जा सकता है। सीडी डिजिटल फाइलों को ले जाने, परिवहन और वितरित करने का एक सुविधाजनक तरीका है।

Compact Disc के फाएदे

कॉम्पैक्ट डिस्क के उपयोग के अपने कई फायदे हैं। इसका चमकदार लुक यूजर का ध्यान खींचता है। कॉम्पैक्ट डिस्क का सबसे लाभप्रद हिस्सा इसका हल्का वजन, पोर्टेबिलिटी और इसका स्थायित्व है। सीडी की कुछ अन्य सबसे आकर्षक विशेषताएं नीचे दी गई हैं:

  • पोर्टेबिलिटी: सीडी आकार में छोटी, हल्की होती हैं, साथ ही कहीं भी ले जाने में आसान होती हैं जो उन्हें अत्यधिक पोर्टेबल बनाती हैं। आप जहां भी जाएं, यह आपके पसंदीदा संगीत या अन्य महत्वपूर्ण फाइलों को आसानी से अपने साथ ले जा सकता है।
  • टिकाऊपन: सीडी मजबूत सामग्री से बनी होती हैं और धूल और खरोंच प्रतिरोधी होती हैं यदि आप उनकी ठीक से देखभाल करते हैं तो इसे अधिक टिकाऊ बनाया जा सकता है।
  • मानकीकरण: यह एक मानक प्रारूप का पालन करता है इसलिए इसे सीडी प्लेयर, कार स्टीरियो सिस्टम, कंप्यूटर ड्राइव जैसे उपकरणों की विस्तृत श्रृंखला के साथ खेला जा सकता है, और अन्य गेमिंग कंसोल के साथ भी खेला जा सकता है। इस प्रकार यह इसकी आसान पहुंच सुनिश्चित करता है।
  • उच्च गुणवत्ता वाला ऑडियो: सीडी उच्च गुणवत्ता वाला ऑडियो आउटपुट देने में सक्षम हैं। जब आप उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले ऑडियो डिवाइस पर चलाते हैं तो यह श्रोता को एक स्पष्ट और शानदार ऑडियो सुनने का अनुभव प्रदान करता है।

कॉम्पैक्ट डिस्क की सीमाएँ

हालाँकि, इसकी विभिन्न विशेषताओं के बावजुद भी इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं जिनका वर्णन नीचे किया गया है:

  • ष्टोरेज क्षमता: कॉम्पैक्ट डिस्क पर डिजिटल डेटा संग्रहीत करने की एक सीमा है। एक मानक ऑडियो डिस्क आमतौर पर 80 मिनट तक की ऑडियो फ़ाइल को अपने पास रख सकती है, दूसरी ओर यह केवल 700 एमबी तक की डेटा फ़ाइल को ही रख सकती है।
  • शारीरिक क्षति: वे गंदगी और खरोंच या किसी भी शारीरिक क्षति के प्रति संवेदनशील होते हैं। यहां तक कि इसकी सतह पर एक छोटी सी खरोंच भी इसे पढ़ने में असमर्थ होने का कारण बन सकती है। इसके अलावा, गलत रखरखाव और अत्यधिक तापमान के संपर्क में आने से भी इसकी लंबी उम्र को नुकसान पहुंच सकता है।
  • शारीरिक क्षति: वे गंदगी और खरोंच या किसी भी शारीरिक क्षति के प्रति संवेदनशील होते हैं। यहां तक कि इसकी सतह पर एक छोटी सी खरोंच भी इसे पढ़ने में असमर्थ होने का कारण बन सकती है। इसके अलावा, गलत रखरखाव और अत्यधिक तापमान के संपर्क में आने से भी इसकी लंबी उम्र को नुकसान पहुंच सकता है।
  • अप्रचलन: आज, उन्नत भंडारण उपकरणों और ऑनलाइन मीडिया सेवाओं के विभिन्न रूपों के उदय के साथ, कॉम्पैक्ट डिस्क की लोकप्रियता में गिरावट आई है। स्मार्टफोन, लैपटॉप जैसे आधुनिक उपकरणों, यहां तक कि कंप्यूटर में भी सीडी ड्राइव नहीं है और जिसने सीडी को आज उपयोगकर्ताओं के बीच कम प्रासंगिक बना दिया है।
  • लचीलेपन का अभाव: एक बार जब डेटा कॉम्पैक्ट डिस्क पर लिखा जाता है, तो इसे आगे अपडेट करना या संशोधित करना मुश्किल होता है। इसलिए, कॉम्पैक्ट डिस्क के साथ डेटा प्रबंधन करना कठिन है। हालाँकि, “CD-R/W” डेटा संशोधन के मामले में कुछ लचीलेपन की अनुमति देता है, लेकिन यह सुविधा मानक कॉम्पैक्ट डिस्क जितनी व्यापक नहीं है।

CD का आविष्कार किसने किया?

इसका आविष्कार वैज्ञानिक जेम्स टी रसेल और कीज़ शूहामर इमिंक के नेतृत्व में फिलिप्स इंजीनियरों की एक टीम के सहयोग से किया गया था। रसेल ने सबसे पहले लेजर लाइट का उपयोग करके ऑप्टिकल डिजिटल रिकॉर्डिंग की अवधारणा पेश की थी, जिस पर फिलिप्स और सोनी ने इस तकनीक को परिष्कृत करने पर आगे काम किया। इमिंक के नेतृत्व वाली संयुक्त टीम ने कॉम्पैक्ट डिस्क और उसके विनिर्देशन को डिजाइन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और अंततः, इसे आधिकारिक तौर पर 1982 में लॉन्च किया गया।