GPS Kya Hai? इस शद्ब से आज लगबग सभी परिचित है।ये तेजी से लोकप्रिय होने बाली एक बेव आधारित नेविगेशन प्रणाली है जो उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थान और समय की जानकारी प्रदान करता है।
इसका उपियोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जाता है, जिसमें नेविगेशन, सर्वेक्षण, जियोफ़ेंसिंग और एसेट ट्रैकिंग जैसी चिजे शामिल हैं। ये तकनीक अब स्मार्टफोन, टैबलेट, कार और घड़ियों जैसे कई उपकरणों पर भी उपलब्ध है।
इसके उपयोग ने दुनिया भर में लोगों के आने-जाने के तरीके में क्रांति ला दी है और नेविगेशन को अधिक कुशल और सटीक बना दिया है। चलिए, इतना तो, लगबग हम सभी को पता है कि यह एक उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणाली है।
लेकिन GPS काम कैसे करता, इस तकनिक का आविस्कार तथा इसका विकाश किसने और कब किया, ये हमारी आधुनिक जीबन पर कैसे और कितना प्रभाब डालता है , इस लेख मे हम इन सभी चिजो पर नजर ढालेंगै। तो चलिए इन सब साबालो के तह तक पहुच ने से पहले GPS क्या है इसे अच्छी तरह से जानले।
Table of Contents
GPS Kya Hai?(what is GPS in hindi)
यह एक उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणाली है जो जमीन पर रिसीवर को स्थान और समय की जानकारी प्रदान करने के लिए पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों के नेटवर्क का उपयोग करता है।
ये उपयोगकर्ताओं को पृथ्वी पर अपनी स्थिति का सटीक पता लगाने और उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है। यह आमतौर पर नेविगेशन सिस्टम में उपयोग किया जाता है।
जैसे कि कार नेविगेशन सिस्टम और हैंडहेल्ड यूनिट, साथ ही जियोफेंसिंग एप्लिकेशन और ट्रैकिंग डिवाइस के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
जीपीएस का इतिहास?
इस तकनीक को पहली बार 1973 में सामरिक रक्षा पहल के हिस्से के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की सेना द्वारा विकसित किया गया था। इस प्रौद्योगिकी का उपयोग शुरू में सैन्य कर्मियों और उपकरणों को सटीक नेविगेशन और समय की जानकारी प्रदान करने के लिए किया गया था।
लेकिन 1980 में, अमेरिकी सरकार ने जनता के लिए इस प्रौद्योगिकी का एक संस्करण जारी किया, जिससे नागरिकों को सिस्टम का उपयोग करने की अनुमति मिली।
तब से, सेल फोन से लेकर कारों तक, विभिन्न प्रकार के उत्पादों में इस तकनीक का उपियोग किया जाने लगा, और आधुनिक दुनिया में अब ये प्रौद्योगिकी अपना रास्ता खोजने के लिए एक आवश्यक उपकरण बन गया है।
Read Also
जीपीएस की विशेषताएं:
इसकी कुछ विशेषताएं यहा दिया गया है जोकि निन्म रुप है :
- यह उन उपग्रहों का समूह है जो तारों की तरह पृथ्वी की परिक्रमा करते रहते हैं।
- इन उपग्रह और नक्षत्रों की स्थिति को पृथ्वी से लगातार ट्रैक किया जा सकता है।
- उपग्रहों का यह नेटवर्क लगातार रेडियो संकेतों के रूप में कोडित सूचनाएँ भेजता है।
- यह उपग्रह प्रणाली पृथ्वी की सतह से लगभग 20,000 किमी ऊपर स्थित 31 उपग्रहों से बना हुया है।
- मौसम की कई प्रकार कि स्थिति के बावजूद भी स्थान, समय और वेग का निर्धारण करने के लिए इसका उपयोग भूमि, समुद्र और हवा पर किया जाता है।
जीपीएस सिस्टम के बेसिक Components क्या हैं
यह सिस्टम चार मुख्य घटकों से बना होता है: रिसीवर, एंटीना, प्रोसेसर और एक पावर का स्रोत।
- Receiver: रिसीवर उपग्रहों का पता लगाने के लिए जिम्मेदार होता है।
- Antenna: एंटीना का उपयोग उपग्रहों से सिग्नल भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
- processor प्रोसेसर उपग्रहों से प्राप्त डेटा की व्याख्या करने और उपयोगकर्ता के सटीक स्थान की गणना करने के लिए जिम्मेदार होता है।
- power source पावर स्रोत का उपयोग GPS सिस्टम के सभी घटकों को पावर देने के लिए किया जाता है।
इसके अलाबा मैपिंग सॉफ्टवेयर, डिस्प्ले और नेविगेशन सिस्टम जैसे अतिरिक्त घटकों के साथ इसे और बढ़ाया जा सकता है।
इन घटकों का उपयोग मेप प्रदर्शित करने, मोड़-दर-मोड़ दिशा-निर्देश प्रदान करने और यहां तक कि उपयोगकर्ता को आपनी रुचि के निकटतम बिंदुओं के बारे में सूचित करने के लिए किया जा सकता है।
जीपीएस की मूल संरचना(Basic Structure of GPS)
Global Positioning System उपग्रहों के नेटवर्क से बना एक सिस्टम है जो उपयोगकर्ताओं को जमीन पर, हवा में या समुद्र में सटीक स्थान, गति और समय की जानकारी प्रदान करता है। इसकी मूल संरचना में तीन मुख्य घटक होते हैं: उपग्रह, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन और उपयोगकर्ता रिसीवर।
- उपग्रह(Satellites): इस प्रणाली में पृथ्वी के चारों ओर छह अलग-अलग कक्षाओं में कम से कम 24 उपग्रह होते हैं। प्रत्येक उपग्रह डेटा युक्त सिग्नल प्रसारित करता है जिसका उपयोग स्थान, गति और समय की गणना के लिए किया जा सकता है।
- ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन: (Ground Control Stations): ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन इस सिस्टम में उपग्रहों की स्थिति की निगरानी और उपग्रहों को उनकी कक्षाओं को बनाए रखने के लिए कमांड भेजने का काम करता हैं।
- उपयोगकर्ता रिसीवर: (User receiver): उपयोगकर्ता रिसीवर वे उपकरण हैं जो उपग्रहों से संकेत प्राप्त करता हैं और उपयोगकर्ता के स्थान, गति और समय को निर्धारित करने के लिए उन्हें संसाधित करता हैं। और उन्हें हाथ में लिया जा सकता है, वाहन पर चढ़ाया जा सकता है, या अन्य प्रणालियों में एम्बेड किया जा सकता है।
Read Also
जीपीएस कैसे काम करता है?
यह पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले कुल 31 उपग्रहों के समूह का उपयोग करता है। प्रत्येक उपग्रह लगातार पृथ्वी को संकेत भेजता है जिसे इसके रिसीवर द्वारा उठाया जाता है।
जब एकबार इसेके रिसीवर चालू होता है, तो वह उपग्रहों से संकेतों की खोज करना शुरू कर देता है। एक बार जब उसे तीन या उससेअधिक सिग्नल मिल जाता हैं, तो वह ट्राइलेटरेशन नामक प्रक्रिया का उपयोग करके रिसीवर की स्थिति का एक त्रिभुज बनाता है।
अब रिसीवर की स्थिति का “नक्शा” बनाने के लिए प्रत्येक उपग्रह से संकेतों का उपयोग किया जाता है। इसके रिसीवर सटीक स्थान को निर्धारित करने के लिए इस मानचित्र का उपयोग करता है।
जीपीएस रिसीवर तब इस डेटा का उपयोग उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करने के लिए करता है और फिर उपयोगकर्ता की स्थिति को मानचित्र पर प्रदर्शित किया जाता है, जिसका उपयोग नेविगेशन के लिए किया जा सकता है।
इसके रिसीवर उपयोगकर्ता की वर्तमान स्थिति और रास्ते में किसी भी बाधा को ध्यान में रखते हुए गंतव्य के लिए सर्वोत्तम मार्ग की गणना भी कर सकता है।ये एक अविश्वसनीय रूप से उपयोगी और विश्वसनीय नेविगेशन प्रणाली है, और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जाता है।
कारों में नेविगेशन सिस्टम से लेकर सैन्य अनुप्रयोगों तक, पैकेज और जानवरों पर नज़र रखने के लिए, GPS किसी के लिए भी एक अमूल्य उपकरण है, जिसे पृथ्वी पर अपना सटीक स्थान निर्धारित करने की आवश्यकता होती है।
GPS सिस्टम का भविष्य
इस सिस्टम का भविष्य अत्यधिक उन्नत और परिष्कृत होने की उम्मीद है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये सिस्टम समय के साथ अधिक विस्तृत और समय पर डेटा के साथ और अधिक सटीक और बेहतर प्रदर्शन करगा।
उपग्रह प्रौद्योगिकी में सुधार इसे और अधिक सटीक स्थिति के साथ-साथ पर्यावरण पर भी अधिक विस्तृत जानकारी जुटाने मे सक्षम होगा। स्मार्ट फोन जैसी अन्य तकनीकों में बढ़ते एकीकरण के साथ ये सिस्टम भी अधिक उपयोगकर्ता के अनुकूल होंगे।
इसके अतिरिक्त, नेविगेशन, आपातकालीन सेवाओं और ट्रैकिंग जैसे अधिक अनुप्रयोगों के लिए इस सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है। क्योकि यह तकनीक और भी विकसित हो रही है, और इसी लिए इसे लेकर संभावनाएं अनंत हैं।
FAQs
GPS का पुरा नाम क्या है?
इसका पुरा नाम ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है।
जीपीएस का विकास कभ और कहा किया गया था?
इसे 1973 में अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा विकसित किया गया था।
GPS के साथ कितने उपग्रह जुडी है?
इसके साथ कुल 31 उपग्रहों शामिल जो इसे आपना काम पूरा करने में सक्षम बनाता है। प्रत्येक उपग्रहों सिग्नल उत्सर्जित करता है, और जो कम से कम चार उपग्रहों से संकेतों के संयोजन से रिसीवर को अपना स्थान और समय निर्धारित करने में मदद करता है।
Conclusion
यह सिस्टम उपयोगकर्ताओं के लिए नेविगेशन को आसान और अधिक कुशल बनाने का एक शानदार तरीका है। वे स्थान, गति और दिशा के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करते हैं और विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में इसका उपयोग किया जा सकता है।
इस सिस्टम का उपयोग नेविगेशन, ट्रैकिंग, फ्लीट मैनेजमेंट और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे खोई हुई वस्तु को ढूंढना। जीपीएस सिस्टम तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं और आज कई उपकरणों में पाए जाते हैं।
सटीकता और सुविधा जैसे फायदे, उन्हें विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प बनाते हैं।
About The Author
Biswajit
Hi! Friends I am BISWAJIT, Founder & Author of 'DIGIPOLE HINDI'. This site is carried a lot of valuable Digital Marketing related Information such as Affiliate Marketing, Blogging, Make Money Online, Seo, Technology, Blogging Tools, etc. in the form of articles. I hope you will be able to get enough valuable information from this site and will enjoy it. Thank You.