Cryptography Kya Hai?What is Cryptography in Hindi?

क्रिप्टोग्राफी सुरक्षित संचार का एक तकनीक है ,जहां दो पक्षों के बीच साझा किए गए संदेश या डेटा को बदनियति वाले किसी तिसरे पक्षों से सुरक्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

कंप्यूटर डेटा हमेशा एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक संचारित होता है।पर एक बार जब आपका डेटा हाथ से बाहर हो जाता है, तो बुरे इरादे वाले लोग अपने फायदे के लिए आपके डेटा के साथ किसी तरह कि छेडखानी या इसे नकल वना सकते हैं।

क्रिप्टोग्राफीक तकनीक इंटरनेट कि इस समस्या को हल करने का एक शक्तिशाली उपकरण है। सिधे तोर पर कहे तो, क्रिप्टोग्राफी, गुप्त लेखन के अनुवाद ओर डेटा के अर्थ को छिपाने का एक विज्ञान है।

तो चलिए Cryptography Kya Hai? इसे ओर थोरी विस्तार से जानते है।

Cryptography Kya Hai?

Cryptography असल मे दो ग्रीक शब्द, क्रिप्टो और ग्राफ़ी से लिया गया है। ग्रीक भाषा मे, क्रिप्टो का अर्थ होता है गुप्त और ग्राफ़ी का अर्थ है लिखना।

इसे थोड़ा आसान भाषा मे समझे तो, यह गुप्त लेखन का एक ऐसा आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक तकनिक है जो  किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप या डेटा टेम्परिंग से बचाते हुए सुरक्षा के साथ सही व्यक्ति को वास्तविक जानकारी भेजता है। इसी तकनिक को क्रिप्टोग्राफी के रूप में जाना जाता है।

इंटरनेट के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन, ई-मेल संदेशों, क्रेडिट कार्ड के विवरण, कइ भी ऑडियो या वीडियो प्रसारण, और अन्य कई संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित करने के लिए Cryptographic तकनीकों को अपनाया जाता है।

बिटकॉइन, एथेरियम और लिटकोइन जैसे crypto-Currencies के अस्तित्व में आने के साथ ही इस Cryptographic तकनीक की लोकप्रियता वड़ी है।

History of cryptography in Hindi

माना जाता है के प्राचीन काल में भी cryptographic तकनीक अस्तित्व में था, और कुछ हद तक इसकी उपयोग भी किया जाता था। cryptography का सबसे बुनियादी रूप, प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया के लेखो से प्रकट होता है। प्राचीन क्रिप्टोग्राफी का एक उदाहरण खनुमहोटेप (Khanumhotep) नामक मिस्र के एक कब्र में पाया गया हे, जोकि लगभग 3,900 साल पुराना है।

cryptography kya hai
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कंप्यूटर के आविष्कार के साथ ही, Cryptography एनालॉग युग की एक उन्नत शुरुवात हो गई है। 128-बिट बाले गणितीय encryption, किसी भी प्राचीन या मध्यकालीन cipher से कहीं अधिक मजबूती से कंप्यूटर सिस्टम के लिए उपयुक्त है।

हाल ही में, cryptographic तकनीकों का उपयोग Crypto-Currency के लिए भी किया गया है जिसमें hash functions, public-key Cryptography, और Digital Signatures भी शामिल हैं। इन तकनीकों का उपयोग मुख्य रूप से blockchains पर संग्रहीत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने और लेनदेन कि प्रमाणिकता को सावित करने के लिए किया जाता है।

Cryptography का एक विशेष रूप, जिसे Elliptical Curve Digital Signature Algorithm (ECDSA) के नाम से जाना जाता है,जो Bitcoin और अन्य cryptocurrency सिस्टम को अतिरिक्त सुरक्षा देने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि उस धन का उपयोग केवल उनके सही मालिकों द्वारा ही किया जा रहा है।

पिछले 4,000 वर्षों में Cryptography ने आपना एक लंबा सफर तय किया है, और आगे भी इसकी Development का काम जारि रेहेगा।

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Cryptography के main elements

Plaintext:- एक Plaintext,कइ भी टेक्स्ट, बाइनरी कोड, या कइ छवि हो सकता है जिसकी गोपनीयता को वनाए रखने के लिए एक ऐसे Format में इसे परिवर्तित किया जाता हे ओर जिसे अनलॉक करने के लिए एक Secret Kye कि आवश्यकता होती है।जिसे किसी निश्चित व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के लिए पढ़ना असंभव होता है।

Ciphertext:- Encryption की इस प्रक्रिया मे, plaintext को एक तेजदार फॉर्मेट में बदल दिया जाता है, इस फॉर्मेट को ciphertext के रुप मे जाता है। एक ciphertext असलमे encrypted संदेश से संबंधित हीता हैं, जो एक receiver आपने संदेश के प्राप्ति के दौरान इसे प्राप्त करता है। हालाँकि, ciphertext उसी plaintext का ही स्वरूप है जिसे आख़िरकार आपने आउटपुट को plaintext मे पुन: पेश करने के लिए Decryption कि प्रक्रिया से गुजरना परता है।

Encryption:- एन्क्रिप्शन किसी भी जानकारी को एक अपठनीय प्रारूप में बदलने की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया plaintext को एक ciphertext में बदल देता है। इस Encryption की प्रक्रिया के लिए एक एल्गोरिथम की जरुरत होता है जिसे cipher या secret key के रूप में जाना जाता है।उस secret key के बिना Encrypted कि गई मूल जानकारी को Decrypt करना बिलकुल Possible नही है।

Decryption:- यह एन्क्रिप्शन प्रक्रिया का बिलकुल उल्टा process है, जिसमें decryption एल्गोरिथम और एक secret key के द्वारा ciphertext को वापस plaintext में बदल दिया जाता है। symmetric एन्क्रिप्शन में, decrypt करने के लिए उपयोग की जाने बाली key ओर encrypt करने बाली key मे समाता होती है। दूसरी ओर, asymmetric एन्क्रिप्शन या public key एन्क्रिप्शन में decrypt करने वाली key एन्क्रिप्ट करने वाली key से अलग होती है।

Cipher:- एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन के एल्गोरिदम को एक साथ cipher कहा जाता है। encryption प्रक्रिया का सबसे दिलचस्प हिस्सा एल्गोरिथम या cipher है। एक algorithm या cipher कुछ और नहीं बल्कि encryption और decryption प्रक्रिया का एक सूत्र है। एक बुनियादी cipher, bits लेता और लौटाता है और इस बात की परवाह नहीं करता कि यह bits एक textual जानकारी, एक छवि या एक वीडियो को दर्शााता हैं।

key:- key एक संख्या या संख्याओं का एक समूह है जिस पर cipher काम करता है। तकनीकी शब्दों में कहे तो, एक key क्रिप्टोग्राफ़िक एल्गोरिथम के आउटपुट ईयानी ciphertext और plaintext को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन दौरान इस key की जरुरत होती है। एक secret key जितनी लंबी होगी, हमलावर द्वारा संदेश को डिक्रिप्ट करना उतना ही कठिन होगा।

अब आपने जाना कि Cryptography Kya Hai? what is Cryptography in Hindi? ओर साथ ही आपने इसके elements के बारे मे भी जाना। चलिए आगे जानते है कि Cryptography कितने प्रकार के होते है।

Types of Cryptography in Hindi

आमतौर पर cryptography तीन प्रकार के होती है और ये इस प्रकार हैं:-

Symmetric Key Cryptography:- यह एक ऐसी Encryption प्रणाली है जहां पर किसी संदेशों को Encrypt और Decrypt करने के लिए एक ही Key का इस्तेमाल होता है। Symmetric Key एक तेज़ और सरल प्रक्रिया हैं। लेकिन इसमे एक समस्या यह है कि,इसमे Sender और Receiver को सुरक्षित तरीके से Key का आदान-प्रदान करना पड़ता है।

Hash Functions:- इस Algorithm में किसी भी key का उपयोग नहीं किया जाता है। इसमे plain text के अनुसार एक तय लंबाई वाले hash value होता है जिससे plain text की content को पुनर्प्राप्त करना असंभव होता है।

Asymmetric Key Cryptography:- इस प्रणाली मे, सूचनाओं को Encrypt और Decrypt करने के लिए keys की एक जोड़ी होता है। एक public key , Encryption के लिए और एक Private Key, Decryption के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एक public key और एक Private Key, दोनो अलग होता हैं।

Cryptography के Features

क्रिप्टोग्राफी की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:

गोपनीयता:- इसमे सूचना केवल उसी व्यक्ति को प्राप्त होगा , जिसके लिए यह तॆयार कि गई है , उसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति उस जानकारी तक पहुंच नहीं पाऐगा है।

अखंडता:- ये उपाय डेटा की सटीकता और पूर्णता का आश्वासन प्रदान करता हैं। यह जानकारी की सुरक्षा , अखंडता बनाए रखने , ओर डेटा तक कि पहुंच को नियंत्रित करता है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करता है कि ,केवल सही उपयोगकर्ता ही उस डेटा या जानकारी को बदलने में सक्षम हौ जोकि इसे बदलने के लिए वैध हैं।

गैर परित्याग:- इस चरण में,सूचना का निर्माता या sender सूचना को भेजने के बाद अपने इरादे से इनकार नहीं कर सकता।

प्रमाणीकरण:- इस चरण में, Sender और Receiver की पहचान की पुष्टि की जाती है ओर साथ ही जानकारी के Source की भी पुष्टि की जाती है।

Conclusion

हजारों सालों से लोग संख्याओं की अध्ययन करते आ रहे हैं। और हजारों सालों से यह कमोबेश सिर्फ गणितज्ञों के लिए दिलचस्प रहा है। आज इसी संख्या सिद्धांत की उपलब्धियों का उपयोग करते हुए गुप्त संदेशों के encryption के लिए एक एल्गोरिथम विकसित किया गया था।

आज इसका सबसे अधिक प्रयोग कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए होता है। इसके बिना, आज कोई भी इंटरनेट पर सुरक्षित लेनदेन करने में सक्षम नहीं है, यहां तक कि ई-मेल और अन्य व्यक्तिगत सेवाओं में सुरक्षित लॉग इन करना भी संभव नहीं है।

उम्मीद है, इस लेख के माध्यम से Cryptography के बारे में आपको बहुत सारी जानकारी मिल गई होगी। Cryptography से जुड़े आपके मन मे और कोई सबाल या सुझाव हो तो कृपया हमे comment करे।और साथही इस तरह की और अधिक महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए इस ब्लॉग को जरुर Subscribe करें और इस ब्लॉग में प्रकाशित जानकारी को अपने दोस्तों के साथ साझा करें। इसके बारे मे और अधिक जानकारी के लिए आप cryptography wikipedia in hindi को फलो करे।

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