URL क्या है? कैसे काम करता है?और यूआरएल के प्रकार

आजकि इस आधुनिक दौड मे अगर हमे कई भी जानकारी जुटानी हो तो सवसे पहले हम गूगल पर सर्च करते है और गुगल के सर्च इंजन इसमे हमारी मदद करने के लिए उस वैबपैज की URL को हमारे सामने प्रस्तुत करता है जहा पर वह जानकारी मौजुद होता है। लेकिन, क्या आप जानते है जिस URL का हम उपियोग करते हे आखिर यह URL क्या है।

आज हम ऐसी समय मे जी रहे है जहा हमारे पास अनलाइन जैसी आधुनिक तकनिक मौजुद है जिसकी मदद से हम कुछ ही मिनटो मे जरुरी सुचनाएआसानी से निकाल सकते है और जरुरत पडने पर उसे download या उसका PDF भी निकाल सकते है।

लेकिन इस वीच क्या आपने कभी सोचा कि जब आप किसी जानकारी के लिए गूगल पर सर्च करते है तो सर्च इंजन इंटरनेट पर आरवो कि संखा मे मौजुद वैब पेजो मे से आपकी जानकारी से संबंधित पेजौ को कुछ ही मिलि सेकंड के अन्दर आपके सामने कैसे प्रस्तुत करता है।

जि हा यह URL ही है जौ सर्च इंजन को इस काम मे मदद करता है। तो इस लेख मे हम URL क्या है? इसके बारे मे आपको एक अवधारना देंगे साथही, वे कितने तरह कि होती है और एक अच्छी URL का structure कैसा होना चाहिए इन सबके बारे मे चचा॔ करेंगे। तो इन सभी चिजो को जानने के लिए हमारे साथ बने रहे और इस लेख को पुरा पढ़ै।

URL क्या है?

यूआरएल यानि Uniform Resource Locator इंटरनेट पर मौजुद किसी भी वैबपेज या वैब डकोमेंट का एक अद्वितीय आईडी या पता होता है। इंटरनेट पर किसी भी संसाधन या उसका पता लगाने के लिए ये एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

दरसल अनलाइन पर मौजुद हर संसाधन का एक अनुठा पता होता जो एक डोमेन नाम के साथ जुड़ा होता है। आसान शद्बो मे समझा जाए तो वे किसी Web Page की एक अनुठी पहचाह होता है जिसके जरिए उस वैव पैज पर आसानी से पौहचा ज सकता।

हर एक यूआरएल का अलग-अलग भागो मे वटा होता है और हर हिस्से का एक अलग विषेता होती है। जैसेकि प्रोटोकॉल लेयर(HTTP या HTTPS), डोमेन नेम, पर्मालिंक्स आदि।

URL कैसे काम करता है?

सरल शब्दों में कहा जाए तो, यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर अनलाइन पर मौजुद रिसोर्स का पता है। ये रिसोर्स वेब पेज, छवि, वीडियो या कोई HTML फ़ाइल हो सकता है।

कहने का मतलब है कि यूआरएल एक वेब एड्रेस है जिसका उपीयोग करके इंटरनेट के द्बारा कोई भी ब्यक्ति उस खास वेब पेज तक पहुच सकते है।

दरसल, इसके कई पैरामीटर होते हैं जैसेकि Protocol, Domain, Path, और Query Parameters जो संसाधन के स्थान और उस तक पहुंचने के तरीके के बारे में browser को जानकारी प्रदान करता हैं। इस लेख मे आगे हम यूआरएल के कई भागो के बारे मे भी आपको अवगत करांगे।

लेकिन चलिए इससे पहले ये जानलेते है कि यह काम कैसे करता है? दरसल, इंटरनेट पर नेविगेट करने और संसाधनों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए यह एक आवश्यक तत्व हैं।बिना इसकी उपीयोग के इंटरनेट कि इस विशाल महासागर से किसी भी बैव पैज को ढुढ़ पाना लगवग नामुमकिन है।

दरसल, जब आप अपने वेब ब्राउज़र पर एक यूआरएल दर्ज करते हैं या किसी लिंक पर क्लिक करते हैं, तो ब्राउज़र सबसे पहले उस संसाधन को होस्ट करने वाले सर्वर को एक अनुरोध भेजने का करता है।

सर्वर तब किए गए अनुरोध पर तुरन्त कारवाई करता है और जवाब मे सर्वर उस संसाधन से संबंधित सभी तत्व ब्राउज़र को प्रदान करता है और फिर ब्राउज़र उन्है आपकी कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है।

यूआरएल के प्रकार

वे मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं 1. Absolute 2. Relative जिनका उपयोग वेब होस्ट या डोमेन नाम तक पहुंचने के लिए शुरुआत के तौरपर पर किया जाता है।

Absolute URL का उदाहरण :
https://www.example.com/path/page.html
इस उदाहरण में:

https:// एक प्रोटोकॉल है।
example.com एक डोमेन नाम है।
www.example.com उप-डोमेन है।
और /path/page.html एक पथ है।

Relative URL का उदाहरण :
https://www.example.com/home/index.html
इस प्रकार का यूआरएल एक सामान्य खोज से संबंधित पृष्ठ के यूआरएल होता है। इसका उपीयोग उसी वेबसाइट के भीतर कि संसाधनों से लिंक करने के लिए किया जाता है और वे एक absolute की तुलना में छोटे और अधिक निर्दिष्ट होते हैं।

यूआरएल कि संरचना

शायद आपने कभी नोटिश किया होगा कि वे एक फॉरवर्ड स्लैश (/) के द्बारा कुछ टुकरो मे वटा होता है। इसकी हर एक टुकरे का अलग अलग महत्ब होता है।

आमतौरपर, इसका पहला हित्सा http या https प्रटोकल के साथ शुरु होता है उसके बाद डोमेन नाम, और आखिर मे Keyword का टुकड़ा शामिल होता है।

एक अच्छी यूआरएल कि संरचना वह होता है जो उपयोगकर्ता और खोज इंजन दोनो को यह समझाने में मदद कर सके है कि वेब पेज कोनसि सुचना प्रदान कर रहा है यानि कहने का मतलब है कि उस पैज पर मौजुद जानकारी किस बारे मे है।

दरसल, यूआरएल कि अच्छी संरचना search engine को ये बताने मे मदद करता है कि उस वेबसाइट पर मौजुद अन्य पेजे किस तरह कि सुचना या सेबाओ से संबंधित है। निचे इसकि संरचनाओं और इसके भागों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

यूआरएल के घटक

Scheme or Protocol: प्रोटोकॉल वेब सर्वर को ये बताता है कि उस वेबसाइट के किसी पेज तक पहुंचने के लिए किस प्रोटोकॉल का उपयोग करना चाहिए।आमतौर पर वेबसाइटों के लिए HTTPS या HTTP नामक दो प्रोटोकॉल होता है

और HTTPS डेटा सुरक्षा के लिहाज से अधिक महत्वपूर्ण होता है। क्योकि HTTPS के साथ SSL प्रमाणपत्र संयुक्त होता है

Domain: डोमेन नाम एक अनलाइन पता होता है। दरअसल आमतौरपर दिखने बाली एक डोमेन नाम के पिछे कुछ नंबरों का संयोजन होता है जिसे इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) कहा जाता है,

जैसेकि 158.102। क्योकि इन नंबरों के संयोजन को याद रखना हमेशा संभव नही होता, इसलिए उन्है एक याद रखने बाली नाम मे कन्वर्ट किया जाता है। जैसेकि Google.com, Facebook.com ये सभी डोमेन नेम के उदाहरण है।

एक डोमेन नाम, डोमेन नाम सिस्टम (डीएनएस) के नियमों और प्रक्रियाओं के तहत पंजीकृत किया जाता है और एक तय अवधि पूरी हो जाने के बाद उसे पुनः पंजीकृत किया जाता है।

1. Port: पोर्ट एक संख्या है जो कंप्यूटर नेटवर्क पर चल रही एक विशिष्ट सेवा या एप्लिकेशन की पहचान करती है। यह आमतौर पर होस्टनाम या आईपी पते के बाद स्थित होता है, और एक कोलन द्वारा अलग किया जाता है।

उदाहरण के तौर पर पोर्ट 80 जो HTTP के लिए डिफ़ॉल्ट है। पोर्ट प्रोटोकॉल डिफ़ॉल्ट रूप से भिन्न हो सकते हैं जैसे HTTPS के लिए 443, FTP के लिए 21 और SMTP के लिए 25।

यदि आप किसी ऐसी सेवा से जुड़ना चाहते हैं जो डिफ़ॉल्ट पोर्ट का उपयोग नहीं कर रही है तो आप इसमें एक पोर्ट नंबर निर्दिष्ट कर सकते हैं।

हालाँकि, सुरक्षा कारणों से कुछ पोर्ट फ़ायरवॉल या राउटर द्वारा अवरुद्ध किए जा सकते हैं।यहां पोर्ट नंबर वाले यूआरएल का एक उदाहरण दिया गया है: http://www.example.com:8080/path/to/resource

2. Path: पथ वेब सर्वर पर एक निदि॔ष्ट स्थान या फ़ाइल का प्रतिनिधित्व करता है। यह डोमेन नाम या होस्टनाम के बाद आता है और एक स्लैश के (/) द्वारा इसे अलग किया जाता है।

पथ वेबसाइट की पदानुक्रमित संरचना या किसी खास संसाधन या फ़ाइल के स्थान को इंगित करता है।यहां पथ का एक उदाहरण दिया गया है: https://www.example.com/software/index.html

3. Query: क्वेरी स्ट्रिंग के अंत में वर्णों का एक सेट है। क्वेरी स्ट्रिंग प्रश्न चिह्न (?) के बाद शुरू होती है और इसमें एक या एकसे अधिक पैरामीटर भी शामिल हो सकते हैं। हर पैरामीटर को एक अद्वितीय कुंजी और मान द्वारा दर्शाया जाता है।

इसके समान चिह्न (=) हर कुंजी और मान को अलग करता है। निचे क्वेरी स्ट्रिंग का एक उदाहरण दिया गया है: https://www.example.com/search?q=example&category=books

4. Fragment: यह एक आंतरिक पेज लिंक है, जिसे अक्सर एंकर लिंक भी कहा जाता है। यह आमतौर पर URL के अंत में स्थित होता है। यह एक हैश (#) वर्ण के साथ शुरू होता है और एक पहचानकर्ता टेक्स्ट द्बादा खतम होता है।

यह एक वेब पेज के भीतर एक विशिष्ट अनुभाग को निर्देशित करता है। किसी वेब पेज पर सामग्री तालिका इसका एक अच्छा उदाहरण हो सकती है। निचे इसका एक उदाहरण दिया गया है https://www.example.com/page.html#section

एक अच्छी यूआरएल संरचना क्या होगी? इसके लिए Google Structure Guidelines के सर्वोत्तम अभ्यास को देख सकते है।

यूआरएल का आविष्कार किसने किया?

एक ब्रिटिश वैज्ञानिक टिम बर्नर्स-ली ने 1990 में पहली बार इसका आविष्कार किया था। इतना ही नहीं, वह World Wide Web, HTML और HTTP प्रोटोकॉल नामक मानक मार्कअप भाषा के आविष्कारक भी हैं।

यह तब की बात है जब ली स्विट्जरलैंड में CERN नामक भौतिकी अनुसंधान केंद्र में एक शोधकर्ता के रूप में काम कर रहे थे। वह एक ऐसे रास्ते की तलाश में थे जिससे वैज्ञानिक आसानी से एक दूसरे के साथ जानकारी साझा कर सकें।

और वहीं से उन्हें इसका विचार आया, जिसे बर्नर्स-ली ने 1989 में पहली बार “सूचना प्रबंधन: एक प्रस्ताव” नामक दस्तावेज़ में वर्णित किया था। और फिर 1990 में पहला यूआरएल और 1991 में पहला वेब ब्राउज़र अस्तित्व में आया।

FAQs


Q) यूआरएल का फुल फॉर्म क्या है

A) इसका पूरा नाम “यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर” है। यह एक मानकीय ऑनलाइन पता है।

Q) यूआरएल क्यों महत्वपूर्ण है?

A) ये मुलत: दो कारणों से महत्वपूर्ण हैं, पहला कारण ये है कि वे हमें इंटरनेट पर संसाधनों को व्यवस्थित करता है और उन्है ढूंढने में हमारी मदद करता हैं।

दूसरा कारण ये है वे किसी वेबसाइट की यूआरएल कि संरचना को सरल रुप मे परिभाषित करता हैं। यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि उपयोगकर्ता अनलाइन पर मौजुद किसी भी वैबसाइट पर आसानी से नेविगेट कर सकें।

इसके अलाबा, खोज इंजन अनुकूलन और खोज परिणामों में अच्छी रैंकिंग के लिए एक अच्छी यूआरएल संरचना का होना महत्वपूर्ण है।

Q) HTML दस्तावेज़ों में URL क्या है?

A) प्रत्येक ऑनलाइन दस्तावेज़ का अपना विशिष्ट URL होता है। इंटरनेट के माध्यम से सीधे डिजिटल दस्तावेज़ तक पहुंचने के लिए यूआरएल को किसी भी ब्राउज़र एड्रेस बार में कॉपी और पेस्ट किया जा सकता है

या आप उन्हें अपनी पसंद के किसी अन्य HTML दस्तावेज़ों में उपयोग कर सकते हैं। साथ ही, इसे Word दस्तावेज़ में दस्तावेज़ के लिंक के रूप में चिपकाया जा सकता है।

Q) यूआरएल का उपयोग कहाँ किया जाता है?

A) यूआरएल का उपयोग इंटरनेट पर विभिन्न संदर्भों और अनुप्रयोगों में किया जाता है। इसके सामान्य उपयोग कुछ इस प्रकार हैं: Web Browsing, Hyperlinks, Search Engines, URL Shorteners, Tracking and Analytics, File Downloads, APIs आदि के लिए किया ज सकता है।

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